ஐ.எஸ்.எஸ்.என்: 2155-9570
मधु चंचलानी और रोशन चंचलानी
उद्देश्य: अति परिपक्व मोतियाबिंद मामलों में पश्च खंड विकृति का पता लगाने में बी-स्कैन अल्ट्रासाउंड की भूमिका का अध्ययन करना।
सामग्री और विधि: यह अध्ययन अक्टूबर 2012 से अक्टूबर 2014 तक भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में किया गया था। अध्ययन में घने मोतियाबिंद के 400 रोगियों को शामिल किया गया था, जिनका पश्च खंड घावों के लिए उच्च रिज़ॉल्यूशन अल्ट्रासोनोग्राफी से मूल्यांकन किया गया था।
परिणाम: मामलों को 0-80 वर्ष की आयु के अनुसार विभाजित किया गया था। लिंगानुपात 1.38:1 (पुरुष:महिला) के साथ पुरुषों की प्रधानता देखी गई। दृष्टि की हानि और आंख का लाल होना प्रमुख लक्षण थे। 15 (3.52%) मामलों में पोस्टीरियर स्टैफिलोमा देखा गया, 7 (1.64%) में विट्रीयस रक्तस्राव, 5 (1.20%) 400 रोगियों में से 79 (19.6%) में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, बढ़ा हुआ आईओपी, यूवाइटिस, मायोपिया जैसे नेत्र संबंधी और प्रणालीगत जोखिम कारक थे।
निष्कर्ष: वर्तमान अध्ययन से यह पता चला है कि बी-स्कैन विभिन्न नेत्र संबंधी असामान्यताओं के निदान में बहुत कुशल उपकरण है। बी-स्कैन इकोटेक्सचर और एनाटॉमी के आधार पर पश्च कक्ष में घावों को अच्छी तरह से वर्गीकृत कर सकता है। घने मोतियाबिंद वाले रोगियों में अल्ट्रासाउंड के साथ प्रीऑपरेटिव पोस्टीरियर सेगमेंट मूल्यांकन का उपयोग उन विकृतियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है जो सर्जिकल रणनीति और पोस्टऑपरेटिव दृश्य परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं।